ब्यूरो: Today aligarh news अलीगढ़ मुस्लिम युनिवेर्सिटी के जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज के प्रो. शमीम अहमद एक अच्छे डाक्टर की बेहतरीन मिसाल बनकर सामने आए हैं। उन्होंने कोरोना काल में खुद संक्रमित होने के बाद भी कोरोना मरीजों का इलाज करना नहीं छोड़ा था।
उन्होंने घर पर रहते हुए आनलाइन माध्यमों से मेडिकल में भर्ती मरीजों का हाल जाना और इलाज करवाया। उनके इस कार्य की केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने भी तारीफ की। आज भी प्रो. शमीम कई अहम जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
प्रो. शमीम ने भी घर पर रहकर इलाज कराया
Today aligarh news ये वो समय था जब कोरोना का भय लोगों में घर कर गया था। लाकडाउन के कारण लोग घर से नहीं निकल पा रहे थे। तब कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कंधों पर थी।
टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रो. शमीम अहमद और अन्य चिकित्सक वार्ड में भर्ती मरीजों की सेहत पर नजर रखे हुए थे। उसी दौरान मेडिकल के कई सीनियर व जूनियर डॉक्टर व अन्य स्टाफ कोरोना संक्रमित पाए गए।
इससे अस्पताल में स्टाफ की कमी भी होने लगी। उसी 30 मई को प्रो. शमीम भी संक्रमित पाए गए। उस समय होम आइसोलेशन की व्यवस्था थी। प्रो. शमीम ने भी घर पर रहकर इलाज कराया।
होम आइसोलेशन के दौरान प्रो. शमीम अहमद ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई। खुद ही खुद का इलाज किया। दूसरा, जेएन मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज की कमान भी संभाली।
उन्होंने वाट्सएप व अन्य आनलाइन माध्यम से मरीजों का इलाज वार्ड में ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के जरिए कराया। क्या दवा देनी है क्या नहीं ये सब बताया? ओपीडी बंद होने के चलते सांस रोगियों के फोन भी उन पर आए।
उन्हें भी उपचार के लिए सलाह दी। प्रो. शमीम बताते हैं कि घर में 12 दिन एक ही कमरे में रहना पड़ा। स्वजन का भरपूर साथ मिला। ऐसा कर खुशी भी बहुत हुई। एक डाक्टर के लिए मरीज ही सबकुछ होता है।
वहीँ अब उनको वैक्सीन ट्रायल को लेकर कई और जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। अब तक 1000 से अधिक मरीजों को वैक्सीन की दो डोज दी जा चुकी हैं। इसकी कमान भी प्रो. शमीम के हाथ में रही। आपको बता दें कि नेशनल कोविड-19 रजिस्ट्री की जिम्मेदारी भी वह संभाले हुए हैं।
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